भारत : दुनिया को राह दिखाने का समय आ गया ।
कोरोना के संकट काल में कितने प्रियजन हम सबको छोड़ कर चले गए जिसके कारण सारे भारत वासियों को असहनीय दुःख एवं कष्टों से गुजारना पड़ा।
इसी विपदा के काल में समाज ने अपनी भारतीय जीवन पद्धति की ओर स्वयं को मोड़ा है। जिसके कुछ सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेगा।
हवन :- घर के सभी सदस्य अब सामूहिक रूप से बैठकर घर में हवन करने की बहुत सी वीडियो अब देखने को मिल जाएगी। इससे पहले तक मच्छर मारने के लिए मोर्टिन धुआं का उपयोग को बच्चे समझते थे किंतु आधुनिक एवं वर्तमान पीढ़ी को हवन के वैज्ञानिकता और उपयोगिता का आभास अब इस कालखंड में हुआ । अब हवन भी वैज्ञानिक है यह सामान्य जन मानने लगा है ।
आसन प्राणायाम :- भारत के प्रत्येक घर में आज कोई न कोई सदस्य प्रणाम आसन करता हुआ मिल जाएगा इसके पहले तक इतने तन्मयता गंभीरता श्रद्धा और विश्वास के साथ इस जीवन पद्धति को हमने नहीं लिया था । किन्तु सुखद दृश्य तब दिखता है जब परिवारों में दादा-पोता , सास-बहू , पिता-बेटी, माँ-पुत्र साथ बैठकर अनुलोम विलोम करते हुए अपनी दिनचर्या को व्यवस्थित करने में लगे हैं। यह आरोग्यता को नए स्तर पर ले जाएगा ।
आयुर्वेद- प्रकृतिक चिकित्सा :- कोरोना के इस संकट काल में लगभग नगण्य घटनाएं ऐसी हुई की आयुर्वेद का सहारा लेते हुए प्रकृतिक चिकित्सा करते हुए किसी को आप्रियता का सामना करना पड़ा हो । आज घर-घर में काढ़ा शब्द सब ने जान लिया । धूप हमारे लिए आवश्यक है तो हमारा भोजन ही हमारे दवाई है इसका ज्ञान ज्यादा से ज्यादा समाज में पहुंचा है। परिवार के सदस्य सहजता के साथ सात्विक भोजन की ओर लौट रहे है ।
कोरोनील कीट :- एक समय ऐसा आ गया कि घर में एलोपैथिक डॉक्टर है तो अपने एलोपैथ की बड़ी मेडिकल दुकान तो बड़े बड़े अस्पताल के चलाने वालों के परिवार के लोगों ने आयुर्वेद दवा खासकर स्वामी रामदेव के यहां से निर्मित कोरोनिल किट का उपयोग किया । भारत को आयुर्वेद पर इतना ज्यादा भरोसा आजादी के बाद पहले कभी नही था ।आयुर्वेद की दिशा जो हमारे पूर्वजों ने दिखाया था आज भारत चल पड़ा है।
स्वच्छता :- भारत के घर घर स्वच्छता का बड़ा महत्व प्राचीन काल से रह है । आज देखते है कि बाहर से आने के बाद घर घुसने से पहले हाथ पांव धूलना, जूता बाहर उतरना, कपड़े भिगोना हो सब पुनः प्रारम्भ हुआ है ।
हाथ मिलाकर अभिवादन करने को छोड़ कर नमस्ते करने की पद्धति को आज जोर पकड़ती जा रही है।
आगे आने वाले समय में भारत में एवं विश्व के कोने-कोने में योग आयुर्वेद के विशेषज्ञों की बहुत अधिक आवश्यकता पड़ने वाली है और उसके लिए हम सबको तैयार रहना होगा ।
Well Done Sir🙏🙏
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत खूबसूरत और सुखद संदेश।नमन आपके सनातनी विचार को। शुभकामनाएं और सुरक्षित रहें
Deleteआपके द्वारा लिखा गया लेख बहुत ही सुंदर है इस लेख के माध्यम से आपने यह बताया है कि कैसे विपदा के समय में हमें अपने परिवार के साथ साथ अपने जीवन मूल्यों की भी याद आ जाती है
Deleteवैश्विक बाजार के बर्चस्व को समझना होगा विशेषकर भारत के उपभोक्ताओं को कि हमारे लिए श्रेयस्कर क्या है? अच्छी बात यह है कि अब भारतीय पद्धति की चर्चा जोरों से होने लगी है और धीरे-धीरे हीं सही उपभोक्ताओं का विश्वास भी बढ़ने लगा है।
ReplyDeleteआपकी टिप्पणी मेरे लिए आशीर्वाद हैं आगे भी आपके आशीर्वाद की आकांक्षा है।
Deleteएक बार फिर से करोना संक्रमण ने य़ह साबित किया है कि भारतीय जीवन पद्धति एवं चिकित्सा पद्धति वास्तव में श्रेष्ठ हैं
ReplyDeleteबंधुवर नमस्कार !!
Deleteटिप्पणी आपकी हमारी ऊर्जा बढ़ाने वाली उत्साह उमंग को बढ़ा रहे हैं । आगे भी लेखन कार्य करता रहूंगा और आपकी टिप्पणी की सदैव अपेक्षा रहेगी ।।
Bharat ki Sanskriti ki prachin kal se hi ek alag pahchan rhi he Jo kanhi gum ho gai thi aaj phir se ek nayi pahchn ban rhi he asaha krti hu ki age bhi ye bani rhe🙏🏻🙏🏻🙏🏻
ReplyDeleteबंधुवर नमस्कार !!
Deleteटिप्पणी आपकी हमारी ऊर्जा बढ़ाने वाली उत्साह उमंग को बढ़ा रहे हैं । आगे भी लेखन कार्य करता रहूंगा और आपकी टिप्पणी की सदैव अपेक्षा रहेगी ।।
आज सारा दुनिया भारत की ओर देख रहा है कि भारत मे इतनी बडी जनसंख्या होने के किस तरह से भारत कोरोना संक्रमण से निजात पा गया है
ReplyDeleteजी नमस्कार ।
Deleteआगे भी भारत दुनिया को बहुत कुछ दुनिया को दे सकता है । आपकी टिप्पणी हमारी लेखन ऊर्जा को बढ़ाने वाला है । आपका हृदय से धन्यवाद ।
बहुत सोद्देश्यपूर्ण आलेख। कोरोना काल में मिली तमाम सीखों को आपने बताया है। ब्लॉग शुरू करने के लिए शुभकामनाएं। आशा है आगे भी ऐसे ही उपयोगी विषयों पर महत्त्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करते रहेंगे।
ReplyDeleteदिलीप जी नमस्कार आप जैसे लोगों से जब समय निकालकर टिप्पणी प्राप्त होती है ऊर्जा बढ़ती है । अवश्य ही आगे भी लेखन करूंगा ।
Deleteहमें निश्चित ही अपनी संस्कृति और चिकित्सा पद्धति और आयुर्वेद के ज्ञान पर गर्व है।हमें इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से आगे बढ़ना चाहिए।फालतू के प्रोटीन और एनर्जी के नाम पर बिकने वाले विदेशी कंपनियों के उत्पादों से लाखों गुणा बेहतर आयुर्वेदिक प्राकृतिक बूटियां।हमें इन्हे अच्छे मार्केटिंग के रास्ते से जनता तक पहुंचाने में मदद करना चाहिए।
ReplyDeleteलेकिन इसके साथ साथ हमें एलोपैथिक इलाज,अस्पताल ,डॉक्टर और बाकि चिकित्सा सुविधाओं की भी चिंता करनी चाहिए ताकि ये पर्याप्त हों और हर भारतीय को जरूरत के समय आसानी से उपलब्ध कराया जा सके। बहुत पीछे हैं हम WHO के मापदंडों से।हमें एक खुशहाल, विकसित और शक्तिशाली राष्ट्र बनना है तो वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाने ही होंगें। इस बार इतनी बड़े रूप में महामारी के फैलने के और भी बहुत कारण हैं,लेकिन हम कहीं ना कहीं इससे ठीक से लड़ नहीं पाएं और इतनी जानें गंवाई।इसका सबसे बड़ा कारण...हमारी जनसंख्या का इतना बड़ा बोझ और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है। कृप्या सब मिलकर 2 बच्चे के सख्त कानून के लिए आवाज उठाएं और चिकित्सा क्षेत्र में भी बुनियादी काम के लिए सरकार से सवाल करें... वन्दे मातरम्...🙏🙏🙏
जी नमस्कार आपने लेख पढ़ कर के अपने विचार प्रकट किए । समय दे करके अपनी टिप्पणी की है यह हमारे लिए बहुत ही सौभाग्य की बात है । आपका परिचय प्राप्त हो तो आप से संवाद करने में सहायता होगी आगे भी लेखन को और कैसे सुधार सकते हैं आपसे जानना है धन्यवाद ।
Deleteआपकी यह लेख प्राचीन सनातन धर्म को पुन:आत्म सात करने वाली है। प्राचीन काल मे भोजन ही औसधी,औसधी ही भोजन हुवा करती थी । हमे आशा है ऐसे महत्वपूर्ण जानकारी फिर से पुन:प्राप्त होगी।
ReplyDeleteबंधुवर नमस्कार आपके शब्द हमारे उत्साह और ऊर्जा बढ़ाने के लिए काफी है । आगे भी लिखने के लिए हमें प्रेरित करने के लिए आपको हृदय से धन्यवाद । पूर्ण निष्ठा के साथ आगे भी अवश्य कुछ जानकारी के साथ उपस्थित होऊंगा धन्यवाद !!
Deleteकोरोना वायरस से विश्व त्रस्त है। इस वायरस के कारण कई सामाजिक व्यवस्था बदल रही है। कोरोना के कारण पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति को अपनाने वाले भी अब भारतीय परंपराओं की दुहाई दे रहे हैं और इसका पालन भी कर रहे हैं। साफ-सफाई का महत्व बढ़ गया है। घरों में बंद लोगों को भूले स्वजनों की याद आने लगी है, लोग वैसे लोगों से भी फोन पर बातचीत करने लगे हैं। आपने बिल्कुल सही कहा कि इस कोरोना काल में आयुर्वेद, योग का महत्व बढ़ा है और हवन आदि में उनको विज्ञान दिखने लगा है अब सभी समझने लगे हैं कि ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने का एक अच्छा माध्यम शंख फूकना भी हो सकता है ! एक तरह से कहा जाए तो कोरोना सामाजिक ताना-बाना बदल रहा है। वास्तव में हम दुनिया को राह दिखाने के लिए खड़े हैं !
ReplyDeleteजी नमस्कार पंकज जी आगे आने वाले समय में आयुर्वेद योग और प्राकृतिक चिकित्सा एक बहुत बड़ा मानव समाज की सेवा का माध्यम बनेगा ।आयुर्वेदिक और प्राकृतिक चिकित्सा के अस्पताल साथ ही योग सिखाने वाले शिक्षकों की मांग पूरी दुनिया में होने वाली है ।
DeleteBahut Sunder bhai sahab
ReplyDeleteसतीश जी नमस्का
Deleteआगे भी लिखने के लिए हमें प्रेरित करने के लिए आपको हृदय से धन्यवाद
Nine quote, impressive and to be followed
ReplyDeleteअमृतेश जी नमस्कार !!
Deleteआपके शब्द हमारे उत्साह और ऊर्जा बढ़ाने के लिए काफी है । आगे आगे भी आपकी टिप्पणी एवं विचार का स्वागत है धन्यवाद!!
Bahut Khubsurat bichar hai Sir ji
ReplyDeleteबंधुवर नमस्कार आपके शब्द हमारे उत्साह और ऊर्जा बढ़ाने के लिए काफी है । आगे भी लिखने के लिए हमें प्रेरित करने के लिए आपको हृदय से धन्यवाद !!
Delete👍👍
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