धर्मांतरण रोकने के सार्थक सहज उपाय एवं प्रयास


धर्मांतरण का इतिहास



 भारत में जब से अंग्रेज आए उसके पूर्व से ही पादरी यहां पर आकर के भारत भूमि पर धर्मांतरण के माध्यम से यूरोप के लिए जगह बना रहे थे और जब अंग्रेज यहां से गए उनके द्वारा अर्जित बहुत बड़ी संपत्ति धर्मांतरण करने वाले इन पादरियों को सौंप करके गए।  आजादी के बाद अमेरिका जैसे देश  भारत में बहुत बड़ी राशि भेज कर धर्मांतरण में सहयोगी की भूमिका में आ गए। 
















भारत पर दोहरा आक्रमण


क तरफ रसिया और चीन द्वारा प्रायोजित वामपंथी और दूसरी तरफ अमेरिका और यूरोप द्वारा प्रायोजित धर्मांतरण भारत में दोहरा आक्रमण  75 वर्षों से कर रहा है । अब समय आ गया है की दोनो प्रकार के आक्रमण जो भारत की संस्कृति पर समाज पर आघात है  इसे अंतिम लड़ाई लड़ने और प्रतिकार करने का ।

धर्मांतरण के कारण 


भारतीय समाज में मनोरोग को दूर करने के लिए बहुत सुंदर ग्राम ग्राम में ओझा भगत तांत्रिक की व्यवस्था थी जिसे सामान्य भाषा में झाड़ फूंक कहते हैं ।काल के प्रवाह में जैसे-जैसे भारत वामपंथी एवं ईसाई शिक्षा व्यवस्था की कुछ कुचक्र में फसता गया इस मनोरोग को दूर करने की जो चिकित्सा ग्राम में सहज उपलब्ध थी इस पर समाज हंसी उड़ने लगा और धीरे-धीरे गांव-गांव में आडंबर पाखंड अंधविश्वास कहकर इसको समाप्त कर दिया गया है।





















धर्मांतरण रोकने के सहज उपाय 



अपने गांव क्षेत्र के आसपास में झाड़ फूंक करने वाले ऐसे ओझा तांत्रिक भक्तों को सूचीबद्ध करना एवं उनकी विशेषताओं को समाज के सभी वर्गों को बताना यह मात्र सहज सुलभ उपाय आज भी धर्मांतरण के जघन्य अपराध को रोक सकता है और हिंदू समाज को सशक्त बना सकता है ।

ग्राम पंचायत एवं खंड धर्मांतरण मुक्त हुए

ग्राम पंचायत अपने स्तर पर बैठक करके ऐसे ओझा तांत्रिक भगतो को पूरे ग्राम/खंड के समाज  द्वारा मान्यता प्रदान की और यह निश्चित किया कि किसी को भी किसी प्रकार की  भूत प्रेत बीमारी से मुक्ति हेतु इन तांत्रिक भक्तों की सहायता ली जाएगी और इसके कारण से संपूर्ण पंचायत एवं खंड धन्मांतरण मुक्त हो गए।

धर्मांतरण रोकने में युवाओं एवं सोशल मीडिया का योगदान

सूचना एवं जानकारी का आदान-प्रदान आज का बहुत बड़ा अस्त्र है । अपने ग्राम प्रखंड के तांत्रिक ओझा भक्तों की जानकारी इकट्ठा करके सोशल मीडिया के माध्यम से सुदूर ग्रामों तक पहुंचा जा सकता है।

 हमारे यहां पर धर्मांतरण करने वाले धर्मांतरण में सहयोगी बनने वाले ऐसे सब प्रकार के लोगों की वीडियो फोटो बनाकर समाज को जागृत करने का काम कर सकते हैं। 

धर्मांतरण रोकने में मातृशक्ति का योगदान

मातृशक्ति भावना प्रधान होती जिसके कारण  धर्मांतरण करने वाले मातृशक्ति पर सबसे अधिक प्रभाव जमाने और धर्मांतरण का प्रयास करते हैं। मातृशक्ति पर उनके प्रभाव के कारण से पूरी पीढ़ी की पीढ़ी धर्मांतरित हो जाती है । अतः मातृशक्ति को जागृत करने प्रबोधन करने में हम सबको अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए और मातृशक्ति को साथ लेकर के इस चक्र से बाहर निकालने के उपाय खोजने होगे । 
ये अंतिम उपाय है अवश्य देखें ।  ये अंतिम उपाय है अवश्य आजमाएं

आपके सुझाव आमंत्रित हैं +919693424986 (WhatsApp)। 




   


Comments

  1. Good explanation, we must act to protect our Dharma, take preventive measures to counter cultural infiltration,

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  2. बहुत ही सराहनीय प्रयास जय श्री राम

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  3. ओझा,तांत्रिक,झाड़ और फूंक से हिंदू समाज को निकालना चाहिए।विश्व में पिछड़ी और अशिक्षित लोगो को मौलाना अथवा पादरी चमत्कार झाड़ फूंक कर के तेजी से अपने एजेंडा का विकाश कर रहे। धर्म के प्रति वैज्ञानिक दृष्टिकोण और आडंबर तथा अंधविश्वास के विरुद्ध समाज का विकाश कर के वैदिक धर्म को बचाया जा सकता और सबसे महत्वपूर्ण जातियां भेद तथा वर्ण व्यवस्था आदि व्यवस्था का विरोध होना चाहिए।भिन्न भिन्न मत पंथ और संप्रदाय में आपसी चर्चा परिचर्चा तथा शास्त्रार्थ कर के एक व्यापक और समान विचारधारा का होना अति आवश्यक।
    संस्कृत में हर लिखा हुआ वाक्य मूल रूप से धर्म का आधार नहीं होना चाहिए।
    वैज्ञानिकता और तर्क संगत धर्म का विकाश जो आपस में समरसता के साथ साथ समानता की ओर संपूर्ण सनातनी को ले जाए तभी धर्म परिवर्तन को रोका जा सकता।देशभर में धार्मिक संस्थानों में संपूर्ण हिंदू को व्यवस्था में लाया जाए और समय के साथ बदलते समाज में प्राथमिक शिक्षा के साथ साथ धार्मिक शिक्षा तथा जागरूकता का विकाश हो।
    जीवन के प्रारंभिक समय में अगर धर्म,योग एवम एक पूजा पद्धति का विकाश हो गया तो सनातन पूरे विश्व में फैलेगा और हम सनातनियो को अमेरिका,यूरोप से लेके अफ्रीका तक धर्म का प्रचार प्रसार करना चाहिए।
    हम दूसरो से अच्छे बनेंगे तब लोग हमसे जुड़ेंगे।
    हमारा प्रयास सिर्फ धर्म परिवर्तन किए हुए लोगो को वापस लाने से ज्यादा जो मूलतः दूसरे धर्म के है उनको सनातन वैदिक धर्म और संस्कृति में लाने का प्रयास होना चाहिए।सरकार को शिक्षा, स्वास्थ के क्षेत्र में नियम बनाना चाहिए जिससे मिशनरियों और मदरसा आदि को पूर्णतः रोका जाए और ये सारे काम सिर्फ सरकार द्वारा किए जाए।
    -सुमित कुमार लाहेरी

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    1. 1.विश्वास सबसे बड़ी बात है जिसको हमको ध्यान रखना होगा । विश्वास के कारण ही हिंदू ईसाई मिशनरियों के जाल में फस रहा है ।
      2.झाड़ फूक पूर्णतया वैज्ञानिक विधा है । मनोवैज्ञानिक डाक्टर की पढ़ाई इसी पर आधारित है ।
      3.झाड़ फूंक को हिंदू समाज को बाहर निकलने के चक्कर में ही आज बड़ी मात्रा में धर्मांतरण ईसाई द्वारा हो रहा है।
      4. मनोवैज्ञानिक क्या करते है कृपया अध्ययन करें ऐसा निवेदन है ।

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    2. भूत प्रेत आदि ये सब मनोवैज्ञानिक रोग है।विश्वास और अंधविश्वास में बहुत फर्क है।ज्ञान शून्य और अनुभवहीन झाड़ फूंक वाले लोग समाज को और पतन को ओर ले जायेंगे।
      बाकी पहले सब हिंदू था और सब इन्ही पोंगापंडित और आडंबरवादी से भरा पड़ा था फिर भी कैसे धर्म परिवर्तन हो रहा?
      बेवकूफी का नाम समझदारी रखने से बेवकूफी समझदारी नहीं हो जायेगा।
      कैंसर का इलाज पैरासेप्टमोल को गोली से करना असंभव है बाकी आप तो अपने ज्ञानी है।
      मूर्खता के आधार पर हम भी देख रहे हमारा सनातन कितना बढ़ रहा।
      आज का युवा ज्ञान विज्ञान की ओर बढ़ रहा और समाज को गुरुकुल में ढकेलिए। न की ठगी और अंधविश्वास फैलाने वाले के बीच।
      झाड़ने से ठीक होगा तो गैर सनातनी बहुत ज्यादा ऑर्गेनाइज्ड है इस मामले में।
      बेहतर मुझे यह लगता है कि अपनी कुरीतियों,कुप्रथाओ और आडंबरों को रोका जाए ।

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  4. वेद,वेदांग,उपनिषद,योग,प्राणायाम,भक्ति,यज्ञ, प्रार्थना,उपासना से विमुख समाज पहले ओझा तांत्रिक के पास जायेगा फिर अगर उससे भी काम नहीं बना तो दरगाह मजार और हालेलुआ गैंग के पास चंगाई करवाने और गलती से प्लेसिबो इफेक्ट बाद में काम किया तो भैया हो गया भेड़ियों का काम।
    सनातनी शेर बन कर गीदड़ का मुकाबला करे और आप भेड़ बकरी कैसे बनाया जाए इसपर लेख लिख रहे।
    एक सनातनी की कोई परिभाषा ही नहीं है और बुरा न माने लेकिन एक आधार और एक मापदंड तो होना चाहिए।
    हमको दायित्व नहीं चाहिए तो हम हर कचड़ा विचार का वाहवाही नही करेंगे।
    गणेश छू खेलिए और दण्ड प्रहार सिखाइए और बहुसंख्यक होने के बाद हल्ला कीजिए उन लोग मार दिया हमको। बढ़िया बढ़िया दंड वाले बौद्धिक देते और दंगो में घर में बैठे रहते क्योंकि सामने वाला कट्टा उठा के खड़ा रहता।

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  5. The power of narrative is vital. Popular belief (for example, Ojha -Tantric is nonscientific) becomes the consensus truth, and the absolute truth remains hidden until eternity. No one cares about the absolute truth, as the consensus truth fulfills the natural curiosity of the human mind. Religion has several dimensions/steps; the ojha and tantric are the most accessible and most approachable and live in a society with mass appeal. In the worldly context, they are helpful. For further details, The Complete Works of Swami Vivekananda - Volume 6, First E book edition, page number 441 onward (almost last pages of volume 6, at Balaram Babu Residence, 1898, (12))

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  6. धर्मांतरण रोकने का सबसे प्रबल उपाय अपने समाज से ऊंच-नीच वर्गभेद मिटाकर हिन्दू समाज को संगठित करका होता है,जओ अल्नेपकालिक होता है! में है! धर्मांतरण करनेवाले सबसे पहला पाठ यही पढ़ाते है ं कि तुम्हारा धर्म तुम्हें समाज में हीन दर्जा देता है! ईसाई मुसलमान बनोगे तो सबके समकक्ष स्थान पाओगे! दूसरा प्रबल प्रलोभन आर्थिक सहायता जो अल्पकालिक होती है! इ सब बातों पर हिन्दू समाज को संगठित होकर सोचना होगा, तभी धर्मांतरण रुकेगा नहीं तो आंख बचाकर ईसाई और मुस्लिम हिन्दू समाज में प्रतिदिन कहीं न कहीं सेंध लगाते ही है ंं! मैं ने अपने स्कूल शिक्षा काल में एक अमुक नाम के हरिजन विद्यार्थी को ईशाई बनकर गर्व अनुभल करते देखा है! पहले साधारण कुर्ता पैजामा पहनकर स्कूल आता था, ईसाई बनाकर ईसाई संगठनों ने अच्छे ठाट के पैंटशर्ट पहनाये, ईसाई नामकरण किया, उसको येशु भजन गाना अंग्रेजी में सिखाया! सहपाठी अमुक राम से अमुक ब्रिगांजा हो कर गर्व का अनुभव करता था! नियमित चर्च जाता था! जय भारत! वन्दे मातरम्!

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    1. ब्लॉग लिखने वाले संघ को ले डूबेंगे।केशव बलिराम हेडगेवार उस जमाने में डॉक्टर थे और उस संगठन के आधुनिक युग के विभाग प्रचारक अपना कचड़ा आइडिया पर इतना गर्व करते है की ब्लॉग लिख कर फैला रहे है कचड़ा।
      कहां कहां से उठा कर ले आते ऐसे अंधविश्वासी नमूनों को 🤣🤣🤣

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