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Showing posts from 2021

अनुग्रहित हूँ

आज की बोध कथा -अनुग्रहित हूँ  एक बौद्ध भिक्षु की कथा है कि वह एक ब्राह्मण के द्वार पर भिक्षा मांगने गया। ब्राह्मण का घर था, बुद्ध से ब्राह्मण नाराज था।  उसने अपने घर के लोगों को कह रखा था कि और कुछ भी हो, बौद्ध भिक्षु  को एक दाना भी मत देना कभी इस घर से। ब्राम्हण घर पर नहीं था, पत्नी घर पर थी; भिक्षु को देखकर उसका मन तो हुआ कि कुछ दे दे। इतना शान्त, चुपचाप, मौन भिक्षा-पात्र फैलाये खड़ा था, और ऐसा पवित्र, फूल-जैसा। लेकिन पति की याद आयी कि वह पति गुस्सैल है, वह लौटकर टूट पड़ेगा। सिद्धान्त का सवाल है उसके लिए। कौन निर्दोष है बच्चे की तरह, यह सवाल नहीं है, सिद्धान्त का सवाल है--भिक्षु को, बौद्ध भिक्षु को देना अपने धर्म पर कुल्हाड़ी मारना है। वहां शास्त्र मूल्यवान है, जीवित सत्यों का कोई मूल्य नहीं है। तो भी उसने सोचा कि इस भिक्षु को ऐसे ही चले जाने देना अच्छा नहीं होगा। वह बाहर आयी और उसने कहाः *क्षमा करें, यहां भिक्षा न मिल सकेगी*। भिक्षु चला गया। पर बड़ी हैरानी हुई कि दूसरे दिन फिर भिक्षु द्वार पर खड़ा है। वह पत्नी भी थोड़ी चिन्तित हुई कि कल मना भी कर दिया। फिर उसने मना किया। कहानी बड़ी अनूठी ह

भारत : दुनिया को राह दिखाने का समय आ गया ।

कोरोना के संकट काल में कितने प्रियजन हम सबको छोड़ कर चले गए जिसके कारण सारे भारत वासियों को असहनीय दुःख एवं कष्टों से गुजारना पड़ा। इसी विपदा के काल में समाज ने  अपनी भारतीय जीवन पद्धति की ओर स्वयं को मोड़ा है। जिसके कुछ सकारात्मक परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेगा। हवन :- घर के सभी सदस्य अब सामूहिक रूप से बैठकर घर में हवन करने की बहुत सी वीडियो अब देखने को  मिल जाएगी। इससे पहले तक मच्छर मारने के लिए मोर्टिन  धुआं का उपयोग को बच्चे  समझते थे किंतु आधुनिक एवं वर्तमान पीढ़ी को हवन के वैज्ञानिकता और उपयोगिता का आभास अब इस कालखंड में हुआ । अब हवन भी वैज्ञानिक है यह सामान्य जन मानने लगा है ।   आसन प्राणायाम :-  भारत के प्रत्येक घर में आज कोई न कोई सदस्य प्रणाम आसन करता हुआ मिल जाएगा इसके पहले तक इतने तन्मयता गंभीरता श्रद्धा और विश्वास के साथ इस जीवन पद्धति को हमने नहीं लिया था । किन्तु सुखद दृश्य तब दिखता है जब परिवारों में दादा-पोता , सास-बहू , पिता-बेटी, माँ-पुत्र साथ बैठकर अनुलोम विलोम करते हुए अपनी दिनचर्या  को व्यवस्थित करने में लगे हैं। यह आरोग्यता को नए स्तर पर ले जाएगा । आयुर्व

भारत की महिलाएं सऊदी अरब की महिलाओं की सहायता करें

सऊदी अरब में 1982 में गार्जियनशिप सिस्टम लागू होने के कारण से सऊदी अरब की महिलाओं को आज बहुत दयनीय और पीड़ादायक स्थिति है  । क्योंकि अगर किसी महिला को बैंक में अकाउंट खुलवाना है अपना पासपोर्ट बनवाना है विदेश की यात्रा करना है यहां तक कि कोई व्यवसाय प्रारंभ करना है तो किसी न किसी पुरुष की  सहमति लेना आवश्यक है । पुरुष अपना भाई अपना बेटा पिता पति कोई भी हो सकता है ।  जैसा कि हम जानते हैं सऊदी अरब में 2015 में वोट देने का अधिकार महिलाओं को दिया तो 2018 में गाड़ी चलाने और मैच देखने  की अनुमति प्रदान की  जो काफी नहीं हैं। धार्मिक सामाजिक बंधन को समाप्त करने के लिए 2016 में शाही कोर्ट में 16000 महिलाओं ने आवेदन पर हस्ताक्षर करके महिलाओं की स्वतंत्रता की मांग की किंतु राजशाही परिवार यह सब उन्हें स्वतंत्रता देने से मना कर रहा है ।  समाज एक दिन वहां राजसत्ता राजशाही के खिलाफ खड़े हो जाएं इस डर से उन्हें बंधक बना कर रखा जा रहा है ।  सऊदी अरब की आबादी 3.2 करोड़ है ।  दिल्ली से मात्र 5000 किलोमीटर दूर है इंटरनेट के इस युग में फेसबुक टि्वटर युटुब इंस्टाग्राम आदि के माध्यम से वहां रह रही महिलाओं का स

भारत में ईसाई तंत्र की योजना

  PRAYER POINTS • Pray for the cultural barriers of the caste system and Hinduism to be overcome by the Gospel.   • Pray for the Good News of Jesus Christ to reach every village and town.   • Pray for justice and hope in a nation plagued by oppression, poverty, and disease.   SUMMARY भारत अपने जीवंत रंगों, अपार भीड़, और अत्यधिक गंध के साथ यात्रा करने वाले सभी लोगों के होश उड़ा देता है।  दुनिया के सबसे बड़े और सबसे विविध देशों में से एक, भारत 2,500 से अधिक विशिष्ट लोगों के समूहों से भरा है जो 456 से अधिक भाषाएँ बोलते हैं।  एक अरब लोगों को एक मिलियन वर्ग मील में फैलाया जाता है।  हाल के आर्थिक विकास ने वैश्विक मामलों में तेजी से महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।  फिर भी भारत की व्यापक गरीबी की अनुमति और कभी-कभी वास्तविकता बनी हुई है।  भारत में किसी भी अन्य देश की तुलना में मानवीय आवश्यकता अधिक है।  लगभग 191 मिलियन लोग, 15% जनसंख्या कुपोषित है।  भारत में लगभग 50,000 बच्चे अनाथ हैं, और लगभग 22% आबादी गरीबी में रहती है।  जाति व्यवस्था, एक बार कठोर सांस्कृतिक संस्था जिसने लोगों को जन्म के आधार पर ए