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समाज सहयोग से संघ शताब्दी यात्रा सगम बनी- दत्तात्रेय

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : शताब्दी यात्रा

 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : शताब्दी यात्रा 1 संघ : कार्य, विस्तार एवं उद्देश्य संघ की स्थापना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 27 सितम्बर 1925 (विजयादशमी, विक्रम संवत् 1982) को हुई। इसका उद्देश्य सम्पूर्ण हिन्दू समाज का संगठन था। तब से सहयोग और सहभागिता के बल पर संघ का कार्य निरंतर बढ़ता गया है। प्रतिदिन चलने वाली शाखाओं के माध्यम से बालक, युवा और प्रौढ़ अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन अनुभव करते हैं, जिससे समाज में संघ की शक्ति और स्वीकृति सतत बढ़ रही है। आज 100 वर्ष की इस यात्रा ने समाज में उत्सुकता जगाई है कि लोग संघ कार्य को जानें और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उससे जुड़ें। डॉ. हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे। अंग्रेजों की गुलामी उन्हें गहरी चुभती थी, पर वह मानते थे कि केवल स्वतंत्रता प्राप्त करना पर्याप्त नहीं है। उन्होंने सोचा कि भारत गुलाम क्यों बना, इसका मूल कारण खोजकर उसका समाधान करना होगा। आत्मजागृति, स्वाभिमान, एकता, अनुशासन और राष्ट्रीय चरित्र निर्माण को उन्होंने आवश्यक माना। इसी उद्देश्य से स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रहते हुए भी उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ...

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी वर्ष 2025

 संघ शताब्दी के निमित्त लेखन हेतु महत्वपूर्ण विषय-बिंदु (संदर्भ : परमपूज्य सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत जी द्वारा 26–28 अगस्त 2025 को दिल्ली में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला ‘100 वर्ष की संघ यात्रा – नए क्षितिज’ के अंतर्गत प्रदत्त उद्बोधन।) डॉ. हेडगेवार और संघ "डॉ. हेडगेवार जन्मजात देशभक्त थे। बचपन से ही यह चिंगारी उनके मन में थी।“ “संघ संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार सहित अनेक संघ के पदाधिकारी स्वतंत्रता आंदोलन में सहभागी रहे हैं।“ "डॉ. साहब कोलकाता गए, मेडिकल की पढ़ाई की और अनुशीलन समिति से संबंध भी स्थापित किया। त्रिलोक्यानाथ चक्रवर्ती, रासबिहारी बोस की पुस्तकों में उनका ज़िक्र आता है। उनका कोड नाम ‘कोकेन’ था।" “संघ का बीजारोपण वास्तव में कई वर्ष पहले हो चुका था, लेकिन 1925 की विजयादशमी के बाद उन्होंने इसकी औपचारिक घोषणा की।“ संघ का उद्देश्य : हिन्दू समाज का संगठन “संपूर्ण समाज का संगठन। संपूर्ण हिन्दू समाज का संगठन। हिन्दू कहने से यह अर्थ नहीं है कि हिन्दू वर्सेस ऑल, ऐसा बिल्कुल नहीं है। ‘हिन्दू’ का अर्थ है ‘समावेशी’।“ “जब हम हिंदू राष्ट्र कहते हैं तो किसी को छोड़ रहे ...